ऐसा देश है मेरा

पत्थर की मूरतों को समझा सबने खुदा है, मेरे लिए वतन का हर जर्ऱा देवता है।

Saturday, September 25, 2010

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Posted by विनोद बिश्नोई at 5:28 AM 1 comment:
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Sunday, September 12, 2010

PRATHAM IMPACT

Posted by विनोद बिश्नोई at 7:37 AM 1 comment:
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  • शिव मंदिर 'तेजो महालय' या मुमताज का मकबरा 'ताजमहल'
  • 15 august 1947
  • (no title)
  • 7 अनजाने 'प्रथम' तथ्य हिन्दी फिल्मों के पहली हिन्दी फिल्म कौन सी थी? राजा हरिश्चन्द्र। पहली बोलती फिल्म ? आलमआरा... ये तथ्य तो लगभग सभी जानते हैं। लेकिन कुछ ऐसे तथ्य भी हैं जो काफी कम लोग जानते हैं। ऐसे ही 7 तथ्य हिन्दी फिल्मों के विषय में -

है कुछ खास.....

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विनोद बिश्नोई
India
अपने देश से प्रेम, उसके प्रति निष्ठा, देशवासी होने का स्वाभिमान, बलिदान की भावना, राष्ट्र के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने की चाह - जैसे गुणों की हमारे देश को आज बहुत आवश्यकता है। यदि भारतीय समाज में कोई दोष है, तो वह यह है कि 'हम सब और सब कुछ हैं, लेकिन भारतीय नहीं। हमारी भाषा, व्यवहार और आचार-विचार में कहीं भी सच्ची भारतीयता नहीं है। भौतिक स्वार्थों ने हमारी सोच पर परदा डाल दिया है। स्वार्थ सिद्धि के लिए हम कुछ भी करने को तत्पर रहते हैं। भारतीय समाज में बढ़ रही सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक बुराइयां, राजनीतिक दलों की बढ़ती संख्या, बढ़ता स्वार्थ, जनसाधारण में फैलता भ्रष्टाचार और धर्म, जाति, भाषा आदि के नाम पर होने वाली हिंसा देश को खोखला कर रही है। यदि इन सबको न रोका गया, तो वह दिन दूर नहीं, जब भारत फिर से किन्हीं के हाथों गुलाम हो। अब देश की बिगड़ती दशा को सुधारने के लिए जरूरत है कि युवा आगे आएं। क्योंकि किसी भी आंदोलन की सफलता नई पीढ़ी पर निर्भर करती है, युवाओं में जोश, उत्साह, आत्मविश्वास, बलिदान की भावना और दृढ़ निश्चय जैसे गुण होते हैं जो आंदोलन की सफलता के लिए जरूरी है। आज एक ऐसे निर्णय लेने की जरूरत है कि देश गर्त में जाने की बजाए फिर से सोने की चिडिय़ा बन सके। vinod.bishnoi786@gmail.com
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देश की वर्तमान दशा के लिए दोषी कौन है?

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