ऐसा देश है मेरा

पत्थर की मूरतों को समझा सबने खुदा है, मेरे लिए वतन का हर जर्ऱा देवता है।

Thursday, May 6, 2010

ऐसा देश है मेरा: तो फिर मरना क्या हैं ?

ऐसा देश है मेरा: तो फिर मरना क्या हैं ?

Blogvani.com
Posted by विनोद बिश्नोई at 2:45 AM
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest

No comments:

Post a Comment

Newer Post Older Post Home
Subscribe to: Post Comments (Atom)

जय हिंद

जय हिंद

हिंदुस्तानी बचपन

Loading...

जरा यहां भी देखें

Vinod Bishnoi

Create Your Badge
www.hamarivani.com
रफ़्तार

दर्शनार्थी संख्या

मेरे अपने

चर्चा में

  • शिव मंदिर 'तेजो महालय' या मुमताज का मकबरा 'ताजमहल'
  • 15 august 1947
  • (no title)
  • 7 अनजाने 'प्रथम' तथ्य हिन्दी फिल्मों के पहली हिन्दी फिल्म कौन सी थी? राजा हरिश्चन्द्र। पहली बोलती फिल्म ? आलमआरा... ये तथ्य तो लगभग सभी जानते हैं। लेकिन कुछ ऐसे तथ्य भी हैं जो काफी कम लोग जानते हैं। ऐसे ही 7 तथ्य हिन्दी फिल्मों के विषय में -

है कुछ खास.....

  • ►  2012 (1)
    • ►  October (1)
  • ►  2011 (6)
    • ►  August (1)
    • ►  July (1)
    • ►  February (2)
    • ►  January (2)
  • ▼  2010 (32)
    • ►  November (1)
    • ►  October (3)
    • ►  September (2)
    • ►  August (2)
    • ►  June (1)
    • ▼  May (6)
      • देखा है भीड़ को
      • विकासशील नहीं, आज हम विकसित होते
      • मजहबी कागजो पे नया शोध देखिये...
      • शिव मंदिर 'तेजो महालय' या मुमताज का मकबरा 'ताजमहल'
      • ऐसा देश है मेरा: तो फिर मरना क्या हैं ?
      • तो फिर मरना क्या हैं ?
    • ►  April (1)
    • ►  March (2)
    • ►  February (3)
    • ►  January (11)

कुछ मेरे बारे में

My photo
विनोद बिश्नोई
India
अपने देश से प्रेम, उसके प्रति निष्ठा, देशवासी होने का स्वाभिमान, बलिदान की भावना, राष्ट्र के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने की चाह - जैसे गुणों की हमारे देश को आज बहुत आवश्यकता है। यदि भारतीय समाज में कोई दोष है, तो वह यह है कि 'हम सब और सब कुछ हैं, लेकिन भारतीय नहीं। हमारी भाषा, व्यवहार और आचार-विचार में कहीं भी सच्ची भारतीयता नहीं है। भौतिक स्वार्थों ने हमारी सोच पर परदा डाल दिया है। स्वार्थ सिद्धि के लिए हम कुछ भी करने को तत्पर रहते हैं। भारतीय समाज में बढ़ रही सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक बुराइयां, राजनीतिक दलों की बढ़ती संख्या, बढ़ता स्वार्थ, जनसाधारण में फैलता भ्रष्टाचार और धर्म, जाति, भाषा आदि के नाम पर होने वाली हिंसा देश को खोखला कर रही है। यदि इन सबको न रोका गया, तो वह दिन दूर नहीं, जब भारत फिर से किन्हीं के हाथों गुलाम हो। अब देश की बिगड़ती दशा को सुधारने के लिए जरूरत है कि युवा आगे आएं। क्योंकि किसी भी आंदोलन की सफलता नई पीढ़ी पर निर्भर करती है, युवाओं में जोश, उत्साह, आत्मविश्वास, बलिदान की भावना और दृढ़ निश्चय जैसे गुण होते हैं जो आंदोलन की सफलता के लिए जरूरी है। आज एक ऐसे निर्णय लेने की जरूरत है कि देश गर्त में जाने की बजाए फिर से सोने की चिडिय़ा बन सके। vinod.bishnoi786@gmail.com
View my complete profile





देश की वर्तमान दशा के लिए दोषी कौन है?

vinod bishnoi....www.kranti2010.blogspot.com. Travel theme. Theme images by konradlew. Powered by Blogger.