Tuesday, May 18, 2010

शिव मंदिर 'तेजो महालय' या मुमताज का मकबरा 'ताजमहल'

श्रीगंगानगर। बचपन से ही सुनते आए हैं कि देश की सबसे खूबसूरत इमारत 'ताजमहल' को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया है। स्कूल किताबें हों या समाचार-पत्रों के पन्ने हर जगह यही तथ्य सामने आया है। प्रो.पीएन ओक को छोड़ कर किसी ने कभी भी इस कथन को चुनौती नही दी कि 'ताजमहल शाहजहां ने बनवाया था। निश्चित ही प्रो. ओक की दामों में कुछ दम है और यदि ये सही हैं तो इस पर हर भारतीय को गौर करना चाहिए तथा उस छुपे हुई हकीकत और तथ्य को दुनिया के सामने लाना चाहिए। प्रो.ओक. अपनी पुस्तक 'TAJ MAHAL - THE TRUE STORY' द्वारा इस बात में विश्वास रखते हैं कि सारा विश्व इस धोखे में है कि खूबसूरत इमारत ताजमहल को मुग़ल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था। ओक कहते हैं कि ताजमहल प्रारम्भ से ही बेगम मुमताज का मकबरा न होकर, एक हिंदू प्राचीन शिव मन्दिर है जिसे तब 'तेजो महालय' कहा जाता था। अपने अनुसंधान के दौरान ओक ने खोजा कि इस शिव मन्दिर को शाहजहाँ ने जयपुर के महाराज जयसिंह से अवैध तरीके से छीन लिया था और इस पर अपना कब्ज़ा कर लिया था। ओक के अनुसार शाहजहां के दरबारी लेखक मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी ने अपने 'बादशाहनामा' में मुग़ल शासक बादशाह का सम्पूर्ण वृतांत 1000 से ज़्यादा पृष्ठों मे लिखा है। जिसके खंड एक के पृष्ठ 402 और 403 पर इस बात का उल्लेख है कि, शाहजहां की बेगम मुमताज-उल-जमानी जिसे मृत्यु के बाद, बुरहानपुर मध्य प्रदेश में अस्थाई तौर पर दफना दिया गया था और इसके 06 माह बाद, तारीख 15 जमदी-उल-ओवल दिन शुक्रवार,को अकबराबाद आगरा लाया गया। फिर उसे महाराजा जयसिंह से लिए गए, आगरा में स्थित एक असाधारण रूप से सुंदर और शानदार भवन (इमारते आलीशान) मे पुन: दफनाया गया। लाहौरी के अनुसार राजा जयसिंह अपने पुरखों कि इस आली मंजिल से बेहद प्यार करते थे ,पर बादशाह के दबाव मे वह इसे देने के लिए तैयार हो गए थे। इस बात कि पुष्टि के लिए यहां ये बताना अत्यन्त आवश्यक है कि जयपुर के पूर्व महाराज के गुप्त संग्रह में वे दोनो आदेश अभी तक रक्खे हुए हैं जो शाहजहां द्वारा ताज भवन समर्पित करने के लिए राजा जयसिंह को दिए गए थे.......
यह सभी जानते हैं कि मुस्लिम शासकों के समय प्राय: मृत दरबारियों और राजघरानों के लोगों को दफनाने के लिए, छीनकर कब्जे में लिए गए मंदिरों और भवनों का प्रयोग किया जाता था। उदाहरनार्थ हुमायूं, अकबर, एतमाउददौला और सफदर जंग ऐसे ही भवनों मे दफनाये गए हैं .... प्रो. ओक कि खोज ताजमहल के नाम से प्रारम्भ होती है---------
''महल' शब्द, अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में भवनों के लिए प्रयोग नही किया जाता। यहां यह व्याख्या करना कि महल शब्द मुमताज महल से लिया गया है......वह कम से कम दो प्रकार से तर्कहीन है। पहला --शाहजहाँ कि पत्नी का नाम मुमताज महल कभी नही था, बल्कि उसका नाम मुमताज-उल-ज़मानी था। और दूसरा --किसी भवन का नामकरण किसी महिला के नाम के आधार पर रखने के लिए केवल अन्तिम आधे भाग (ताज)का ही प्रयोग किया जाए और प्रथम अर्ध भाग (मुम) को छोड़ दिया जाए, यह समझ से परे है। प्रो.ओक दावा करते हैं कि, ताजमहल नाम तेजो महालय (भगवान शिव का महल) का बिगड़ा हुआ संस्करण है। साथ ही साथ ओक कहते हैं कि-- मुमताज और शाहजहां कि प्रेम कहानी,चापलूस इतिहासकारों की भयंकर भूल और लापरवाह पुरातत्वविदों की सफ़ाई से स्वयं गढ़ी गई कोरी अफवाह मात्र है क्योंकि शाहजहां के समय का कम से कम एक शासकीय अभिलेख इस प्रेम कहानी की पुष्टि नही करता है। इसके अतिरिक्त बहुत से प्रमाण ओक के कथन का प्रत्यक्षत: समर्थन कर रहे हैं..... तेजो महालय (ताजमहल) मुग़ल बादशाह के युग से पहले बना था और यह भगवान् शिव को समर्पित था तथा आगरा के राजपूतों द्वारा पूजा जाता था। ओक के अनुसार न्यूयार्क के पुरातत्वविद प्रो. मर्विन मिलर ने ताज के यमुना की तरफ़ के दरवाजे की लकड़ी की कार्बन डेटिंग के आधार पर 1985 में यह सिद्ध किया कि यह दरवाजा सन् 1359 के आसपास अर्थात् शाहजहाँ के काल से लगभग 300 वर्ष पुराना ह। मुमताज कि मृत्यु जिस वर्ष (1631) में हुई थी उसी वर्ष के अंग्रेज भ्रमण कर्ता पीटर मुंडी का लेख भी इसका समर्थन करता है कि ताजमहल मुग़ल बादशाह के पहले का एक अति महत्वपूर्ण भवन था। यूरोपियन यात्री जॉन अल्बर्ट मैनडेल्स्लो ने सन् 1638 (मुमताज कि मृत्यु के 07 साल बाद) में आगरा भ्रमण किया और इस शहर के सम्पूर्ण जीवन वृत्तांत का वर्णन किया,,परन्तु उसने ताज के बनने का कोई भी सन्दर्भ नही प्रस्तुत किया,जबकि भ्रांतियों मे यह कहा जाता है कि ताज का निर्माण कार्य 1631 से 1651 तक जोर शोर से चल रहा था। फ्रांसीसी यात्री फविक्स बर्निअर एम.डी. जो औरंगजेब द्वारा गद्दीनशीन होने के समय भारत आया था और लगभग दस साल यहाँ रहा,के लिखित विवरण से पता चलता है कि,औरंगजेब के शासन के समय यह झूठ फैलाया जाना शुरू किया गया कि ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था। प्रो. ओक बहुत सी आकृतियों और शिल्प सम्बन्धी असंगताओं को इंगित करते हैं जो इस विश्वास का समर्थन करते हैं कि,ताजमहल विशाल मकबरा न होकर विशेषत: हिंदू शिव मन्दिर है। आज भी ताजमहल के बहुत से कमरे शाहजहाँ के काल से बंद पड़े हैं, जो आम जनता की पहुँच से परे हैं। प्रो. ओक जोर देकर कहते हैं कि हिंदू मंदिरों में ही पूजा एवं धार्मिक संस्कारों के लिए भगवान् शिव की मूर्ति, त्रिशूल, कलश आदि वस्तुएं प्रयोग की जाती हैं। ताज महल के सम्बन्ध में यह आम किवदंत्ती प्रचलित है कि ताजमहल के अन्दर मुमताज की कब्र पर सदैव बूंद बूंद कर पानी टपकता रहता है। यदि यह सत्य है तो पूरे विश्व मे किसी भी कब्र पर बूँद बूँद कर पानी नही टपकाया जाता, जबकि प्रत्येक हिंदू शिव मन्दिर में ही शिवलिंग पर बूंद बूंद कर पानी टपकाने की व्यवस्था की जाती है। फिर ताजमहल (मकबरे) में बूंद बूंद कर पानी टपकाने का क्या मतलब....????
प्रो. पीएन ओक के अनुसंधान को ग़लत या सिद्ध करने का केवल एक ही रास्ता है कि वर्तमान केन्द्र सरकार बंद कमरों को संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षण में खुलवाए और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को छानबीन करने दे।
जऱा सोचिये....!!!!!!
कि यदि ओक का अनुसंधान पूर्णतय: सत्य है तो किसी देशी राजा के बनवाए गए संगमरमरी आकर्षण वाले खूबसूरत, शानदार एवं विश्व के महान आश्चर्यों में से एक भवन, 'तेजो महालय' को बनवाने का श्रेय बाहर से आए मुग़ल बादशाह शाहजहां को क्यों......?????
तथा....... इससे जुड़ी तमाम यादों का सम्बन्ध मुमताज-उल-ज़मानी से क्यों........???????
आंसू टपक रहे हैं, हवेली के बाम से.....
रूहें लिपट के रोती हैं हर खासों आम से.....
अपनों ने बुना था हमें, कुदरत के काम से....
फिऱ भी यहां जिंदा हैं हम गैरों के नाम से......  

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13 comments:

  1. पता था नीरज भाई जरूर आयेगे यहाँ :)

    वैसे मेरे ब्‍लाग पर इस विषय पर एक लेख है

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  2. प्रमेन्द्र भाई,
    आपको तो पता ही है, :)

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  3. वाह री ब्‍लागवाणी कैसे कैसे मिटटी के शेर ब्‍लागस में अपना झण्‍डा देके भेज रही है जिन्‍हें यही नहीं पता कि मुमताज उल जमानी से ताजमहल में 'ताज' नहीं लिया गया बल्कि शाहजहां का असल नाम ताजुद्दीन (tajuddin) था, जैसे अकबर का असल नाम जलालुद्दीन था, दो में दो जोडो चार
    मुमताज महल से मुम लो
    ताजुद्दीन से ताज लो

    ब्‍लागवाणी ऐसा ब्‍लागर है तेरा लानत है तेरे ऐसे झण्‍डाबरदारों पर

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  4. मुमताज उल जमानी का खिताब 'मुमताज महल' से महल लो
    ताजुद्दीन के खिताब से 'ताज' लो बन जायेगा 'ताजमहल'

    parveen shah:> उद्धृत करता हूँ:-
    "On July 14 2000 the Supreme Court in New Delhi dismissed a petition that sought to force a declaration that a Hindu king built Taj Mahal, as P.N. Oak has claimed. The court reprimanded the petitioner saying he had a "bee in his bonnet" about the Taj.
    In 2005 a similar petition was dismissed by the Allahabad High Court. This case was brought by Amar Nath Mishra, a social worker and preacher who says that the Taj Mahal was built by the Hindu King Parmar Dev in 1196."

    "bee in his bonnet" ??? आपको नहीं लगता कि माननीय न्यायालय ने श्री पी० एन० ओक साहब को Reprimand करते हुऐ कुछ ज्यादा ही सख्त शब्दों का प्रयोग किया था... या शायद वह इन्ही शब्दों को deserve करते थे ?

    अब सेकुलर कहो या वामपंथी, क्या करूं मित्र, भारत का नागरिक हूँ अत: मैं तो माननीय न्यायालय के निर्णय को ही मानूंगा!

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  5. कुतुब मिनार शिवलिंग है ऐसी कोई चीज इस्‍लामी इतिहास में नहीं है जबके 'लिंगपुराण' में भगवान शिव के लिंग बारे में जो बातें मिलती हैं वह कुतुब मिनार पर फिट बैठती हैं

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  6. हा हा हा हा हा ताजमहल मंदिर ! सरक गए क्या ? अपनी सभ्यता को महान साबित करने के लिए और कितनी कहानिया गढ़ोगे कोई ऐसी बात तो कहते कि कुछ सच दिखाई देता

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  7. YAAR APNE DIMAG KA ILAZ KARWAO
    TUM SUCH ME PAGAL HO GAYE HO

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  8. श्री पी.एन. ओक अपनी पुस्तक "Tajmahal is a Hindu Temple Palace" में 100 से भी अधिक प्रमाण और तर्को का हवाला देकर दावा करते हैं कि ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है जिसका असली नाम तेजोमहालय है। श्री पी.एन. ओक साहब को उस इतिहास कार के रूप मे जाना जाता है तो भारत के विकृत इतिहास को पुर्नोत्‍थान और सही दिशा में ले जाने का किया है। मुगलो और अग्रेजो के समय मे जिस प्रकार भारत के इतिहास के साथ जिस प्रकार छेड़छाड की गई और आज वर्तमान तक मे की जा रही है, उसका विरोध और सही प्रस्तुतिकारण करने वाले प्रमुख इतिहासकारो में पुरूषोत्तम नाथ ओक साहब का नाम लिया जाता है। ओक साहब ने ताजमहल की भूमिका, इतिहास और पृष्‍ठभूमि से लेकर सभी का अध्‍ययन किया और छायाचित्रों छाया चित्रो के द्वारा उसे प्रमाणित करने का सार्थक प्रयास किया। श्री ओक के इन तथ्‍यो पर आ सरकार और प्रमुख विश्वविद्यालय आदि मौन जबकि इस विषय पर शोध किया जाना चाहिये और सही इतिहास से हमे अवगत करना चाहिये। किन्‍तु दुःख की बात तो यह है कि आज तक उनकी किसी भी प्रकार से अधिकारिक जाँच नहीं हुई। यदि ताजमहल के शिव मंदिर होने में सच्चाई है तो भारतीयता के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। आज भी हम जैसे विद्यार्थियों को झूठे इतिहास की शिक्षा देना स्वयं शिक्षा के लिये अपमान की बात है, क्‍योकि जिस इतिहास से हम सबक सीखने की बात कहते है यदि वह ही गलत हो, इससे बड़ा राष्‍ट्रीय शर्म और क्‍या हो सकता है ?

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  9. Shah Jahan Ne bahut kuch banwaya aur demolish karaya. aur ye baat jhuth nahi hai ki Muslim Shashak yaha mandiron ko hi tor ker apna sab kuch banaya aur apna pet bhara aur ye aaj ke musalman jo khud ko musalman kahna bahut accha samajhte hain zara khud mein jhank ker dekh le yaa apni 4-5 pustein piche jaakar apne per dada ke per dada kaa naam pata karein koi hindu hi nikal jayega unka baap. Try to think of your own identity You all Muslims you have nothing to cheer about.

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  10. हम कितना भी बोलें और तथ्य दें परंतु ये झंडू लोग मानने वाले नहीं हैं, जैसे अयोध्या और मथुरा के लिये नहीं मानते हैं, अगर इनका बस चले तो ये तो यह भी साबित करे दें कि पैगम्बर मोहम्मद हिन्दुस्तान में पैदा हुए थे और ये उनकी औलादें हैं, कभी ये मानने को तैयार नहीं होंगे कि ये सब हिन्दू से झंडू में कनवर्टी हैं, जैसे कि वो क्रास वाले नहीं मानते हैं, जैसे सब के सब सूलीवाले के सगे संबंधी हैं। और तो और हमारी भारत सरकार भी यह मान लेगी

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  11. saalo taj mahal shah jahan ne banavaya tha to aise bolte ho jaise tumhare baap ne banvaya ho khana tak to ulte tave pe banvate ho likhte bhi ulta ho toh ullu ki dumaon taj mahal banvaoge aukat hai tumhari taj mahal banvane ki paida bhi ulte hi hue the kya itna bhi bata do aji sawal dekho oak ji mujhe ye bata de ki kuye kahan se aye chitthiyan kahan hai aur to aur scientistoan se milvao scietistaon se milenge apne baap se mile ho kabhi. oak saab ne bilkul sahi kaha hai aur agar unke man main ye baatein uthi hai to ye zaruri hai ki sarkaar unki teh tak tak jaye aur agar ye baat sach nikalti hai ki taj hinduon ka mandir hai to kisike baap main himmat ho to phir dobara ye kahe ki isse shahenshah ne banvaya haiphir dekho sarkar to baad main bajayegi pehle janta chaba jayegi tumhein. woh to shukra samjho ki kisi ne to himmat dikhai ki taj 1 hindu shiv mandir hai varna log hamesha isi galatfehmi main rahte ki ye kisi kanjus raja ne apni biwi ke liye taj mahal banvaya tha ab hum satmola kya hingoli pachnol bhi khalien tab bhi ye baat hajam nahi hogi ki koi kanjus taj banva de wo bhi uske liye jo koi aisi khaas bhi nahin thi aye bade taj banwainge saale hutt &$@^$#@#":#@@@$#%! saale question mark nahin to bhutni de

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  12. मुल्लों को समझाना चांद पर पैदल जाना है.. ये खाली लात जूता समझते हैं..

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