Saturday, January 9, 2010


धरती सुनहरी अंबर नीला, हर मौसम रंगीला
ऐसा देस है मेरा, हां....... ऐसा देस है मेरा
बोले पपीहा कोयल गाये, सावन घिर घिर आये
ऐसा देस है मेरा.......
गेंहू के खेतों में कंघी जो करे हवाएं
रंग बिरंगी कितनी चुनरियाँ उड़ उड़ जाएं
पनघट पर पनहारन जब गगरी भरने आये
मधुर मधुर तानों में कहीं बंसी कोई बजाए, लो सुन लो,  कदम कदम पर है मिल जानी, कोई प्रेम कहानी
ऐसा देस है मेरा......
बाप के कंधे चढ़ के जहाँ बच्चे देखे मेले

मेलों में नटके तमाशे, कुल्फ़ी के चाट के ठेले
कहीं मिलती मीठी गोली, कहीं चूरन की है पुडिय़ा
भोले भोले बच्चे हैं, जैसे गुड्डे और गुडिय़ा
और इनको रोज़ सुनाये दादी नानी एक परियों की कहानी
ऐसा देस है मेरा........

4 comments:

  1. Dost agar tum pryaas karo,
    Yug badlega, Itihaas badlega,
    AADMI ki ynha talaash karo,
    AADMI hi SAMAAJ badlega...

    With Best Wishes,

    Aapka DEV

    ReplyDelete
  2. so nice sir...................ye sab pehle nahi pata tha




    thanks........

    sanjeev setia

    ReplyDelete